मध्य प्रदेश में लगातार जारी दलित उत्पीड़न को रोकने व उनके सामाजिक सम्मान तथा आर्थिक बराबरी कायम करने की मांग को लेकर नागरिक अधिकार मंच एवं युवा संवाद द्वारा 25 दिसंबर 2010महाड़ सत्याग्रह के दिन भोपाल के बोर्ड ऑफिस चौराहे पर एक दिवसीय धरना दिया गया था। जिसके दौरान एस.डी.एम एम.पी. नगर कों मुख्य मंत्री के नाम ज्ञापन भी सौपा गया था।
इन्ही मांग को लेकर 11 जनवरी 2011 को नागरिक अधिकार मंच मध्य प्रदेश एवं युवा संवाद के प्रतिनिधि मंड़ल द्वारा मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल को भी ज्ञापन सौपा गया।
इन्ही मांगों के सदर्भ में अप्रैल माह में मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशसन विभाग द्वारा संगठन को एक पत्र प्राप्त हुआ है। जिसमें संगठनों के मांगों पर सामान्य प्रशा सन विभाग(आरक्षण प्रकोष्ठ) द्वारा टिप्पणी की गई है।
जो कि बिन्दुवार निम्नलिखित है -ः
जाति प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया को सरल किया जाये
अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों द्वारा जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सरकार 1950 का रिकार्ड मांगती है जिसकी वजह से काफी बड़ी संख्या में लोग जाति प्रमाण से वंचित हैं। संगठन द्वारा यह मांग की गई थी कि 1950 का रिकार्ड मांगने के नियम को तत्काल समाप्त कर जाति प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया को सरल किया जाये
इसके जवाब में विभाग द्वारा टिप्पणी की गई है कि उच्चतम न्यायलय के विभिन्न निर्णय तथा भारत सरकार के निर्देषों के अनुसार अनुसूचित जाति-जनजातियों को अधिसूचना जारी करने के वर्ष 1950 की स्थिति में संबधित राज्य का निवासी होना आवष्यक हैं।
जाति प्रमाण पत्र बनाये जाने के सबंध में मध्यप्रदेश शासन द्वारा 11/07/2005 में एक निर्देश जारी किया गया है जिसके अनुसार यदि किसी आवेदक के पास वर्ष 1950 या उससे पहले से मध्यप्रदेश का निवासी होने का रिर्काड़ नही है तो उसे यह लिखित रिर्काड़ प्रस्तुत करने के लिए विवश नही किया जाये।
इसके लिए -
- राजस्व अधिकारियों को स्वंय मौके पर जाकर/कैम्पो में, जॉच करके आवेदन पत्र में दी गई जानकारी की पुष्टि की जानी चाहिए।
- इसके लिए आवेदक/संबधित सरपंच/पार्षद/संबधित गॉव, मोहल्ले के संभ्रांत व्यक्तियों से पूछताछ करके उनके बयान दर्ज किये जाने चाहिए और स्वंय के संतुष्टि के बाद स्थायी जाति प्रमाण पत्र जारी करने की अनुशंसा की जानी चाहिए।
इस सबंध में विभाग का कहना है मध्यप्रदेश में जाति प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग को लेकर उपरोक्त निर्देशों की वजह से अलग से दोबारा निर्देश जारी किये जाने की आवष्यकता नही है।
सरकारी संस्थनों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती की जाए
इस सबंध में विभाग द्वारा टिप्पणी की गई है कि प्रदेश में आरक्षित बैकलॉग के पदों की पूर्ति हेतू विशेष भर्ती अभियान चलाया जा रहा है। शासन द्वारा चलाये जा रहे विशेष भर्ती अभियान की समय सीमा में एक वर्ष की वृद्वि की गई है।
मध्य प्रदेश में अनुसूचित जातियों के लिए सरकारी क्षेत्र की तर्ज पर निजी क्षेत्र में भी आरक्षण के लिए कानून बनाया जाए
इस सबंध में विभाग द्वारा टिप्पणी की गई है कि आरक्षण का विषय सवैधानिक होने के कारण जबतक भारत सरकार द्वारा इस सबंध में कोई प्रावधान नही किया जाता तब तक प्रदेश शासन द्वारा कोई कार्यवाही क्रियान्वंयन करना संभव नही है।
ज्ञापन में दिये गये बाकि 5 अन्य निम्नलिखित मांगों के सबंध में विभाग का इतना ही कहना है कि ये बिन्दु आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग से सबंधित है।
- अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार के प्रकरणों का तत्काल निपटारा कर दोषीयों पर ठोस कार्यवाही की जाए।
- अनुसूचित जाति-जन जाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की सुचारू क्रियान्वयन के लिए षासन की ओर से जागरूकता अभियान चलाया जाए।
- सभी निजी शैक्षणिक संस्थानों में दलित छात्रों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू की जाए तथा षिक्षा का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाए।
- ग्रांमीण क्षेत्र में भूमि सुधार लागू कर दलितों व अन्य भूमिहोनों में कृषि भूमि वितरित किया जाये। इसके लिए प्रदेश स्तर पर भूमि सुधार आयोग का तत्काल गठन किया जाए।
- अनुसूचित जाति के लोगों को स्वरोजगार के लिए ब्याज रहित कर्ज उपलब्ध कराया जाए।
-नागरिक अधिकार मंच
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